‘स्‍वास्‍थ्‍य देश के राजनीतिक एजेंडे के पहले बिंदुओं में कभी नहीं रहा’

‘स्‍वास्‍थ्‍य देश के राजनीतिक एजेंडे के पहले बिंदुओं में कभी नहीं रहा’

डॉक्‍टर के.के. अग्रवाल

दुनिया में हर वर्ष 3 करोड़ बच्‍चों को अस्पताल में विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है, जिसके बिना कई या तो मर जाते हैं या अपाहिजों अथवा ऐसी स्‍वास्‍थ्‍य विकृतियों के साथ जीवन जीते हैं जिन्‍हें रोका जा सकता था।  एक वैश्विक गठबंधन के हालिया अध्ययन, जिसमें यूनिसेफ और विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन भी शामिल है की रिपोर्ट में ये दावा किया गया है। इस रिपोर्ट में देशों से आग्रह किया गया है कि वे नवजात बच्‍चों की मृत्यु को रोकने के लिए स्वास्थ्य सेवा में निवेश बढ़ाएं।

इस रिपोर्ट का दावा है कि गुणवत्ता पूर्ण चि‍कित्‍सा देखभाल उपलब्‍ध होने से 17 लाख नवजात मौतों को रोकों जा सकता है जो कि 2030 तक ऐसी मौतों का 68% होगा। यह रिपोर्ट देशों से आग्रह करती है कि नवजात बच्‍चों को सप्‍ताह के सातों दिन 24 घंटे अस्‍पताल में भर्ती कर उनकी देखभाल सुनिश्च‍ित करने लायक ढांचा बनाएं। इसके लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को जरूरी प्रशिक्षण में, समर्पित उपकरण और बुनियादी ढांचे का विकास किया जाए।

स्वास्थ्य शायद भारत के राजनीतिक एजेंडे के  प्राथमिक बिंदुओं में कभी नहीं था। देश ने स्‍वास्‍थ्‍य पर बेहिसाब खर्चे को हमेशा सामान्‍य माना, यहां तक कि सरकारी अस्पतालों की सेवाएं भी उन लोगों को चुनौती देती हैं जिनकी आवाज कहीं नहीं सुनी जाती। अब भी गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की बड़ी संख्या को देखते हुए, गुणवत्तापूर्ण च‍िकित्‍सा सेवा के मसले को समीकरण के दोनों पक्षों, यानी सेवा की कीमत और लोगों द्वारा उसे चुकाने की क्षमता को ध्‍यान में रखते हुए हल किए जाने की जरूरत है। इस मामले में बीमा बहस का एक अलग विषय है।

सस्ती और गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा तक लोगों की पहुंच बनाने के अलावा, सरकार के लिए जरूरी है कि वो एक केंद्रीकृत स्वास्थ्य बचत योजना लाए और इसके लिए एक केंद्रीकृत कोष प्रबंधन व्‍यवस्था बनाए। इससे समाज के एक बड़े हिस्से को सेवाएं मिलेंगी और सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी। यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज का मतलब अच्छी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल है जो सर्व सुलभ, सस्ती और जवाबदेह हो।

अच्‍छी चि‍कित्‍सा और देखभाल की गुणवत्ता हमेशा पसंद की जाती है,  मगर ये हमेशा संभव नहीं हो पाता क्योंकि इससे उपचार की लागत बढ़ती है। तो ऐसे में फोकस क्या होना चाहिए? हर अस्पताल या स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठान को उपलब्‍ध संसाधनों के भीतर अधिकतम गुणवत्ता देने की कोशिश करनी चाहिए। साथ ही उपलब्‍ध संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करना चाहिए। खराब गुणवत्ता सेवा संसाधनों के खराब उपयोग को इंगित करती है। गुणवत्ता और सामर्थ्य दोनों को संतुलित करने की आवश्यकता है। खासकर हमारे जैसे देश में, जो दुनिया में स्वास्थ्य पर सबसे कम खर्च वाले देशों में से एक है।

कुछ सुझाव

• अपनी आय में से हर महीने एक स्पष्ट बचत लक्ष्य निर्धारित करें। इसका उपयोग केवल चिकित्सा खर्च के लिए करें

• इस बचत को संकट के लिए सुलभ और आसानी से उपलब्ध रखें

• जिस तरह एक कार को रखरखाव की आवश्यकता होती है, उसी तरह स्वस्थ रहने के लिए भी रखरखाव की आवश्यकता होती है। सुनिश्चित करें कि आप मासिक चेकअप जरूर करवाएं। यह बचत उसमें भी आपकी सहायता कर सकता है

(डॉक्‍टर के.के. अग्रवाल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्‍यक्ष और हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष होने के साथ-साथ देश के जाने माने हृदय रोग विशेषज्ञ हैं।)

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